Tuesday, June 2, 2009
आओ!
हम उस ज़मीन को सींचे
जिसके अन्दर
नन्हा बीज छटपटा रहा है
अंकुरित होने को
.
आओ!
हम उस ज़मीन में खाद डाले
जिसके अन्दर
कोमल अंकुर लड़ रहा है
कठोर परतों से
पल्लवित होने को
हमें विश्वास है
हारना ही होगा उन परतों को;
ज़र्ज़र होना ही है
उन दीवारों को
जिसके भीतर
सृजन का एक भी बीज विद्यमान है
आओ!
हम भी अंकुरित हो
एक साथ
ताकि भेद सकें
उन अवरोधों; रूढ़ियों को
जो हमारे अस्तित्व के
प्रस्फुटन में बाधक है
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कविता
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18 comments:
सृजन का एक बीज भी अगर अंकुरित हुआ तो आशा की किरण इस सृष्टि मे जगमगा उठेगी... ब्लॉगजगत मे आपका स्वागत है...
सुन्दर अभिव्यक्ति,ब्लॉगिंग के पहले कदम पर सकारात्मक सोच पर एक और बधाई-यहां अक्सर लोग अपनी भड़ास ही निकालने आते हैं
http//:gazalkbahane.blogspot.com/या
http//:katha-kavita.blogspot.com पर कविता ,कथा, लघु-कथा,वैचारिक लेख पढें
भाव बहुत अच्छे लगे सृजन का है सत्कार।
सामाजिक जड़ता हँटे तब सुन्दर संसार।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.
हमें विश्वास है
हारना ही होगा उन परतों को;
ज़र्ज़र होना ही है
उन दीवारों को
जिसके भीतर
सृजन का एक भी बीज विद्यमान है
sahee kahaa hai srijan ka beej hai to paudhaa bhi ugega .
blog jagat main aapka swagat hai
अच्छी कविता...
शुभकामनाएं...
आप की कविता पर कमेन्ट करने औकात ही नहीं है मैं तो इतना ही कहूँगा बेहतरीन
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
सुन्दर रचना है।बधाई।
बहुत अच्छा लिखा है आपने । आपका शब्द संसार भाव, विचार और अभिव्यिक्ति के स्तर पर काफी प्रभावित करता है ।
मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-फेल होने पर खत्म नहीं हो जाती जिंदगी-समय हो तो पढ़ें और कमेंट भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
परम्पराओ की तुलना में विवेक को महŸव दीजिये।
ब्लॉगजगत मे आपका स्वागत है
सर्वप्रथम तो चिट्ठाजगत में आपका स्वागत करता हूँ......प्रशंसनीय है आपकी कविता सृजनात्मकता पर.......आशा है भविष्य के गर्भ में बहुत सारे सृजन के बीज छुपे हों और वे फल-फूलकर हिंदी चिट्ठाजगत को समृद्ध करने में अपना अमूल्य योगदान दें......
साभार
हमसफ़र यादों का.......
सृजन ही तो जीवन है.............. बीज ने तो अंकुरित होना ही है............ उमीदों से भरी लाजवाब रचना है.बधाई हो इस सुन्दर रचना के लिए
अच्छी लगी आपकी यह रचना
bahut achchhi rachna
bahut achchhi lagi mujhe
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
bahut pyar rachna , badhai sweekaren.
mere blog par aane aur comment dene ke liye hardik dhanyawaad, punah padharen.
sahaj,saral or payari rachna hai. narayan narayan
ittifaq kaho ya accha lekhan ..aapka blog baar baar khiich lata hai .
khoobsurat ,gahra bhaav
chintan se bhara
sabse achhi baat toh ye hai ki kahin koi aadambar nahin hai...na shabdon ka , na shilp ka aur na hi vaicharik star par apni prakaandta ko chaspa karne ka ..............rahi baat kavita ki toh kavita umda hai ...bahut hi umda hai ..
satyam!
shivam!
sundaram!
HARDIK SHUBH KAAMNAAYEN...
आज आपका ब्लॉग देखा.... बहुत अच्छा लगा. मेरी कामना है कि आपके शब्दों को नये अर्थ, नयी ऊंचाइयां एयर नयी ऊर्जा मिले जिससे वे जन-सरोकारों की सशक्त अभिव्यक्ति का सार्थक माध्यम बन सकें.
कभी समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर पधारें-
http://www.hindi-nikash.blogspot.com
सादर-
आनंदकृष्ण, जबलपुर