Monday, November 2, 2009
मंजिल की ओर
महज़ एक कदम
और यकीन मानिये मंजिल
एक कदम और नजदीक हो गया
दूसरे कदम ने
और एक कदम नज़दीक कर दिया
तीसरा --
चौथा --
--
और फिर अब तो
मंजिल दूर नहीं है
महज़ एक कदम
और यकीन मानिये मंजिल
एक कदम और नजदीक हो गया
दूसरे कदम ने
और एक कदम नज़दीक कर दिया
तीसरा --
चौथा --
--
और फिर अब तो
मंजिल दूर नहीं है
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11 comments:
बेहतरीन रचना!
सुन्दर अभिव्यक्ति!
श्री गुरू नानकदेव जी की 540वीं जयन्ती की और
कार्तिक पूर्णिमा (गंगा-स्नान) पर्व की बधाई!
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति; सुन्दर रचना; आशावादी रचना
wakai me....
बहुत सुन्दर रचना है.
दूसरे कदम ने
और एक कदम नज़दीक कर दिया
तीसरा --
चौथा --
सार्थक है.
महावीर शर्मा
और फिर अब तो
मंजिल दूर नहीं है...aameen!
Eid aur Holi,dono mubarak hon!
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
Wah..aapne hausala badha diya!
बहुत सुन्दर. लेकिन रचना पोस्ट करने में इतना लम्बा अन्तराल क्यों?
manzil kitni hi dur kyun na ho pahla kadam jaruri he
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
आपकी कविताओं ऐसा सुंदर तथा रोचक रूप देख कर मन अत्यंत प्रभावित हो गया
सार्थक भाव , हार्दिक बधाई