Sunday, June 21, 2009

मौसम ने अंगडाई ली

बदल छाये हैं घनघोर

रंग-बिरंगे पंखो वाले

नाच रहे हैं देखो मोर

.

सावन की रिमझिम बूंदे

क्यों बैठे हो आंखे मूंदे

हरियाली छाई हर ओर

नाच रहे हैं देखो मोर

.

बढ़ गयी फूलों की लाली

झूम रहे हैं डाली-डाली

चुप हो जा मत कर शोर

नाच रहे हैं देखो मोर

--------------------

चित्र साभार : google

15 comments:

ओम आर्य said...

ek surmayi kawita.......atisundar

नवनीत नीरव said...

bahut pyari aur khoobsoorat kavita hai.
Navnit Nirav

श्यामल सुमन said...

अच्छी एवं समसामयिक रचना।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

श्यामल सुमन said...

अच्छी एवं समसामयिक रचना।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

समय चक्र said...

अच्छी रचना...

mehek said...

manbhawan rachana badhai.

निर्मला कपिला said...

सुन्दर रचना और तस्वीर तो सुन्दर है ही बधाई

Vinay said...

आपको पिता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ...

---

चाँद, बादल और शाम | गुलाबी कोंपलें

Udan Tashtari said...

सुन्दर रचना, बधाई.

Pramendra Pratap Singh said...

बहुत ही अच्‍छी कविता

विवेक सिंह said...

मोर ने मन मोह लिया !

अनिल कान्त said...

बहुत खूबसूरत लिखा है आपने

cartoonist anurag said...

bahut achhi racna...
badhai...

shama said...

Harek rachna alag hai...khushee aur gam eksaath basar karte hain yahanpe..!
Mor to mere naihar me bohot hain...lekin sara parisar barsat ke liye taras gaya hai...

SomeOne said...

कविता तो अच्छी है लेकिन मौसम लगता है अंगडाई लेना भूल गया इस बार. सिर्फ दिखावा करता है|

हमारीवाणी

www.hamarivani.com

इंडली

About Me

My Photo
Razia
गृहस्थ गृहिणी
View my complete profile

Followers

Encuesta

रफ़्तार
www.blogvani.com
चिट्ठाजगत