Sunday, May 9, 2010

अभिभूत हूँ मैं तुमने जो सन्देश मातृ दिवस पर मुझे दिया है. आज भी जब याद करती हूँ उन क्षणों को जब मैनें मातृत्व सुख अर्जित किया था तो रोमांचित हो जाती हूँ. और यह मातृत्व सुख तुमने ही तो प्रदान किया था - सर्वप्रथम. ऊँगली पकड़कर तुम्हें चलना सिखाने से लेकर अब तक, जबकि तुम बी. टेक. अंतिम वर्ष में हो सारे दृश्य तो घूम गये एक एक कर. आज तुमने मुझे हर खुशी देने की बात कही है, इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है. ऐसा लगता है तुम अब वह छोटी सी गुड़िया नहीं रही जिससे मेरा वार्तालाप कुछ इस तरह रहा हो :

माँ आज मैनें एक लड़के को मारा.

अच्छा फिर उस लड़के ने कुछ नही कहा?

अरे माँ ! उस लड़के को पता ही नहीं चला कि मैनें उसे मारा है.

तुम इस मासूमियत को मत खोना, और दृढ़ता भी बरकरार रखना. वक्त ने तुम्हें बहुत कुछ सिखाया है. वक्त और अवसर को कभी मत खोना. हम बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं तुम्हारे लौटने का. बहुत सारी परीक्षाएँ तुमने उत्तीर्ण की है पर असली परीक्षा तो अब सामने है. अंतिम बात किसी भी स्थिति में धैर्य मत खोना.

तुम्हारी माँ

[Zz6jjov[1].jpg]

बेटी : एकता

Saturday, May 1, 2010

मजदूर दिवस पर मेरी कविता पढें यहाँ क्लिक करके

हमारीवाणी
www.hamarivani.com
इंडली
About Me
My Photo
Razia
गृहस्थ गृहिणी
View my complete profile
Followers
Encuesta
razia-unlimited-sky.blogspo..
33/100
रफ़्तार
www.blogvani.com
चिट्ठाजगत