Saturday, June 6, 2009


मजदूर माँ के बच्चे का बचपन ऐसे ही पलता है ---- ! !

5 comments:

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) said...

रजिया जी आंखे भर आती है देश की ६० प्रतिशत जनसँख्या यैसे ही जीती है बहुत ही सार्थक प्रयाश है इन चंद ठेके दारो को नंगा करने का जो अपने आप को गरीबो का मसीहा कहते है
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084

Unknown said...

atyant maarmik
umda post
badhai!

समय चक्र said...

बहत बढ़िया अभिव्यक्ति . .
आपकी पोस्ट चर्चा समयचक्र में

डॉ. मनोज मिश्र said...

सही चित्रण .

रज़िया "राज़" said...

मेरी हमनाम के ब्लोग पर पहुंचकर लगा जैसे "हमनाम" की तरहाँ संवेदनाऎं भी एक ही हैं।

बधाइ। ज़िंदगी की तस्वीर दिख़ाने को।