Monday, November 2, 2009
मंजिल की ओर
महज़ एक कदम
और यकीन मानिये मंजिल
एक कदम और नजदीक हो गया
दूसरे कदम ने
और एक कदम नज़दीक कर दिया
तीसरा --
चौथा --
--
और फिर अब तो
मंजिल दूर नहीं है

**********

11 comments:

ओम आर्य said...

बेहतरीन रचना!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सुन्दर अभिव्यक्ति!
श्री गुरू नानकदेव जी की 540वीं जयन्ती की और
कार्तिक पूर्णिमा (गंगा-स्नान) पर्व की बधाई!

M VERMA said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति; सुन्दर रचना; आशावादी रचना

लोकेन्द्र विक्रम सिंह said...

wakai me....

महावीर said...

बहुत सुन्दर रचना है.
दूसरे कदम ने
और एक कदम नज़दीक कर दिया
तीसरा --
चौथा --

सार्थक है.
महावीर शर्मा

kshama said...

और फिर अब तो
मंजिल दूर नहीं है...aameen!
Eid aur Holi,dono mubarak hon!

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

kshama said...

Wah..aapne hausala badha diya!

वन्दना अवस्थी दुबे said...

बहुत सुन्दर. लेकिन रचना पोस्ट करने में इतना लम्बा अन्तराल क्यों?

Dr. C S Changeriya said...

manzil kitni hi dur kyun na ho pahla kadam jaruri he

shekhar kumawat

http://kavyawani.blogspot.com/

S R Bharti said...

आपकी कविताओं ऐसा सुंदर तथा रोचक रूप देख कर मन अत्यंत प्रभावित हो गया
सार्थक भाव , हार्दिक बधाई

हमारीवाणी

www.hamarivani.com

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