Saturday, April 24, 2010
लोग चिल्ला रहे थे. वह भी चिल्ला रहा था. लोग गालियाँ सुना रहे थे. वह भी गालियाँ सुना रहा था.
मैनें कहा : इंसान ऐसे होते हैं.
लोग चिल्ला रहे थे. वह शांत था. लोग गालियाँ सुना रहे थे. वह मुस्करा रहा था..
मैनें कहा : इंसान ऐसे भी होते हैं
वह चिल्ला रहा था. लोग शांत थे. वह गालियाँ सुना रहा था. लोग मुस्करा रहे थे.
मैनें कहा : इंसान ऐसे भी होते हैं
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11 comments:
मानसिकता पर सुन्दर पोस्ट है!
हाँ सचमुच इन्सान ऐसे ही होते हैं। अच्छे भाव की प्रस्तुति।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
Insanon ki sabhi variety maujood hai...
bus yadi insaan insaan bana rahe to sabko hi achha lagta hai,, vrana kise bhaata hai.....
bahut achhi post.
Haardik shubhkaamnayne
वह शांत था. लोग गालियाँ सुना रहे थे. वह मुस्करा रहा था.......
बहुत सुन्दर लघु कथा.............
bahut achchi lagi.
मनुष्यता के अलग-अलग रूपों को व्यक्त करती रचना अच्छी लगी
सच कहा आपने।
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गुफा में रहते हैं आज भी इंसान।
ए0एम0यू0 तक पहुंची ब्लॉगिंग की धमक।
सच, इन्सान ऐसे भी होते हैं.
bahtrin
bahut badhai
shekhar kumawat
waah insaan kai kismon se mulaqaat karwa di aapne..sundar prastuti
सच कहा आपने।