अभिभूत हूँ मैं तुमने जो सन्देश मातृ दिवस पर मुझे दिया है. आज भी जब याद करती हूँ उन क्षणों को जब मैनें मातृत्व सुख अर्जित किया था तो रोमांचित हो जाती हूँ. और यह मातृत्व सुख तुमने ही तो प्रदान किया था - सर्वप्रथम. ऊँगली पकड़कर तुम्हें चलना सिखाने से लेकर अब तक, जबकि तुम बी. टेक. अंतिम वर्ष में हो सारे दृश्य तो घूम गये एक एक कर. आज तुमने मुझे हर खुशी देने की बात कही है, इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है. ऐसा लगता है तुम अब वह छोटी सी गुड़िया नहीं रही जिससे मेरा वार्तालाप कुछ इस तरह रहा हो :
माँ आज मैनें एक लड़के को मारा.
अच्छा फिर उस लड़के ने कुछ नही कहा?
अरे माँ ! उस लड़के को पता ही नहीं चला कि मैनें उसे मारा है.
तुम इस मासूमियत को मत खोना, और दृढ़ता भी बरकरार रखना. वक्त ने तुम्हें बहुत कुछ सिखाया है. वक्त और अवसर को कभी मत खोना. हम बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं तुम्हारे लौटने का. बहुत सारी परीक्षाएँ तुमने उत्तीर्ण की है पर असली परीक्षा तो अब सामने है. अंतिम बात किसी भी स्थिति में धैर्य मत खोना.
तुम्हारी माँ
बेटी : एकता
9 comments:
Very sweet communication between a mother and a daughter.Very touchy.
aapki bhasha bahut khoobsoorat hai.
meri taraf se aap lohon ko best wishes.
रोचक!!
मातृ दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएँ.
Thank you so much mummy............I love you
jamana kitna bhi badal jaye
par maa baap to nahi badlte
to hum kaise badaL SAKTE HAI
जीवन के महत्वपूर्ण सत्य को उद्घाटित किया है आपने। आभार।
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बूझ सको तो बूझो- कौन है चर्चित ब्लॉगर?
पत्नियों को मिले नार्को टेस्ट का अधिकार?
rochak hai
अति प्रशंसनीय ।
रजिया जी . बधाई ।
बहुत बहुत बहुत अच्छी प्रस्तुति.
आपकी हर कविता की तरह यह भी बहुत अच्छी लगी ....