Tuesday, November 2, 2010

image

एक व्यक्ति की भक्ति से प्रसन्न होकर देवता प्रकट हुए और बोले दो दिन बाद तुम पूरे परिवार के साथ मिलना मैं तुम्हें वरदान देना चाहता हूँ. वह प्रसन्न हो गया और सपरिवार दो दिन बाद वरदान लेने के लिये उपस्थित हुआ. देवता ने 'नारी प्रथम' का अनुसरण करते हुए पहले उसकी पत्नी से कहा कि वह कुछ माँगे. उसकी पत्नी ने खुद को दुनिया की सबसे सुन्दर स्त्री होने का वरदान माँगा और वह तत्काल दुनियाँ की सबसे सुन्दर स्त्री हो गई.

अब बारी उस व्यक्ति की थी. देवता ने उससे वरदान माँगने को कहा. वह अपनी पत्नी की सुन्दरता से जला-भुना था. उसने अपनी पत्नी के सिर पर सींग माँग लिया.अब उसकी पत्नी न तो सुन्दर रही और न सामान्य.

तीसरा अवसर उसके लड़के को वरदान देने का था. देवता ने कहा 'तुम कुछ भी माँग लो, मैं उसे पूरा कर दूंगा.'

पुत्र अपनी माता-पिता के व्यवहार और तथाकथित वरदान से आहत था. उसने सिर्फ यह माँगा कि मेरे माता-पिता पहले जैसे हो जायें और वैसा ही हो गया.

6 comments:

M VERMA said...

सुन्दर बोधकथा. बहुत खूब

सदा said...

बहुत ही सुन्‍दर बात कही आपने ...इस प्रस्‍तुति के माध्‍यम से ।

Sunil Kumar said...

सन्देश देती हुई सुंदर रचना ,बधाई

Patali-The-Village said...

सुन्दर बोधकथा|

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

तथास्तु!
--
ज्योति-पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

वन्दना अवस्थी दुबे said...

सुन्दर बोधकथा.

हमारीवाणी
www.hamarivani.com
इंडली
About Me
My Photo
Razia
गृहस्थ गृहिणी
View my complete profile
Followers
Encuesta
razia-unlimited-sky.blogspo..
33/100
रफ़्तार
www.blogvani.com
चिट्ठाजगत