एक बैल जंगल के रास्ते जा रहा था. उसके सींग बड़े-बड़े थे. वह मस्ती से हरी-हरी घास खाता हुआ जा रहा था कि अचानक एक पेड़ की अपेक्षाकृत नीची झुकी हुई शाखा में उसका सींग फँस गया. उसने जोर लगाया तो वह शाखा टूट गयी और वह फिर पहले जैसा मस्ती से चलने लगा. उसे अपने ताकत का अन्दाजा हो गया. एकाएक उसे शरारत सूझी और उसने जानबूझ कर दूसरे पेड़ की शाखा से अपनी सींग फँसा लिया. उसने फिर जोर लगाया और वह शाखा भी टूट गयी. उसे अब इस खेल में मज़ा आने लगा वह आगे बढ़ता गया और रास्ते में जो भी शाखा नीची झुकी हुई दिखाई देती उसमें वह अपनी सींग अड़ा देता और ताकत लगाकर उसे तोड़ देता. उसने बहुत सारे शाखाओं को तोड़ दिया. अभी वह और आगे बढ़ा ही था कि एक और शाखा दिखाई दी, यह शाखा अपेक्षाकृत मजबूत थी. बैल ने आव देखा न ताव उसमें भी सींग अड़ा दिया. अबकी बार उसकी सींग शाखा को तोड़ नहीं पाई. उसने सींग को छुड़ाने के लिये पूरी ताकत लगा दी, परिणामस्वरूप वह शाखा तो नहीं टूटी पर उसकी एक सींग ही टूट गई. वह दर्द से बिलबिलाता हुआ चला गया.
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9 comments:
हर जीव को अपने दायरे मे रह कर ही काम करना चाहिये। सुन्दर सन्देश देती लघु कथा। बधाई।
ओवर कान्फिडेन्स...
interesting...
Good lesson !
क्या बात है। बहुत सुंदर
क्या बात है। बहुत सुंदर
शिक्षाप्रद.
rochak